तकदीर के मारे बन्दों को शिरडी में बुलालो हे साँई
बड़ा जग की बलाएं घूर रहीं हमें उनसे बचालो हे साँई
दुनिया के सताए बन्दों को जब अपनी शरण में लेते हो
बन जाते कवच हो तुम उनका कोई आँच न आने देते हो
अब हाथ पकड़ के हमको भी ज़रा पास बिठालो हे साँई
साँई तान के चादर करुणा की सब कमियाँ हमारी ढक लेना
नस-नस ये हमारी विनती करे लाज श्रद्धा की मेरी रख लेना
संसार ने जिसको ठुकराया उसे गले से लगालो हे साँई
हम बेबस और कमज़ोर बड़े दु:ख कैसे ज़माने भर के सहें
जो दर्द हमारे दिल में है तुमसे न कहें तो किससे कहें
अब अपनी महर की छाया तले हम सबको छुपालो हे साँई
तकदीर के मारे बन्दों को शिरडी में बुलालो हे साँई
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