पादुका री पादुका तू है परम सेविका
पादुका री पादुका तू है परम प्रेमिका
तुझ में समाई है श्रीचरणों की सुवास
जिन श्रीचरणों की महिमा है ख़ास
रहती है तू नित्य सानिध्य में
करती है तू नित्य उनका आराधन
करती है तू नित्य चरनामृत का पान
प्रभु के चर्नार्विंद है तेरी पहचान
क्यों न हो तुझे इतना गुमान
गुरु चरनकमल है तेरी आन और शान
नित तू पीती है चरण कमल पराग
नित रहता तेरा मन मगन पाकर अनुराग
पादुका री तू धन्य धन्य है
तुझसा बडभागी कौन अन्य है ?
तू ही गुरु मनभावन है
तू ही अखंड सुहागन है
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